2025 में इस सब्जी की खेती से होगा तगड़ा मुनाफा जाने कैसे करे !

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किसान साथियों 2025 में कम लागत से करे इस सब्जी की खेती(Vegetable farming 2025)होगा दुगना मुनाफा जाने पूरी प्रिक्रिया….

Vegetable farming 2025 : किसान साथियों यदि आप भी सब्जी वर्गी खेती करने के बारे में सोच रहे हैं और एक अच्छा मुनाफा लेना चाहते हैं तो दोस्तों आप करेले की खेती कर सकते हैं करेले की खेती में आपको एक अच्छा मुनाफा तो देखने को मिलता है करेले की डिमांड भी काफी ज्यादा हमें देखने को मिल रही है

क्योंकि सभी में अब सेहत के प्रति काफी जागरूकता आ रही है और करेले के रेट भी किसानों को काफी अच्छे देखने को मिल हैं यदि के सीजन अनुरूप और डिमांड के हिसाब से करेले की खेती करें तो मिलेगा दुगना मुनाफा और होगा कई चीजों का खर्च कम

आज के इस आर्टिकल में हम आपके लेकर आए हैं करेली की आधुनिक खेती करने की ऐसी तकनीक जिसे यदि आप खेती करते हैं तो आपको उत्पादन में काफी अच्छी वृद्धि देखने को मिलेगी सब्जी वर्गी खेती करना किसानों के लिए काफी लाभदायक रहता है यदि किसान उसे एक आधुनिक तकनीक और समय के अनुरूप करें तो किसानी सलाह के लिए  व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए यहां दबाए-:WATSUP GROUP में जुड़े

करेले की खेती के बारे में जानकारी (Agricultural tips) किसान साथियों और मित्रों करेला एक सब्जी वर्गी खेती के अंतर्गत आता है करेली की खेती बेल वर्ग में आती है करेला एक ऐसी सब्जी है जिसे यदि एक बार किसान लगा दे तो एक लंबे अंतराल के लिए उससे उत्पादन ले सकते हैं

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Vegetable farming 2025 | करेले की डिमांड बाजार में हर एक समय पर काफी अच्छी रहती है और किसान इसकी खेती करके अच्छे दामों पर इसे मार्केट में बेच सकता है करेली की डिमांड अब और भी हमें देखने को मिल रहा है इसका यह कारण है कि इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं और यहां सेहत के लिए काफी अच्छा बताया जाता है

यदि किसान एक अच्छे मार्केट में करेली की फसल को भेजते हैं तो करेले के काफी अच्छे रेट देखने को मिल जाएंगे किसान करेले की खेती को एक आधुनिक तरह से कर सकते हैं जिससे उन्हें उत्पादन भी ज्यादा देखने को मिलेगा उसी के साथ में गुणवत्ता और मात्रा में भी वृद्धि किसानों को देखने को मिलेगी

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आधुनिक तरीके से करेले की खेती Vegetable farming 2025

किसान साथियों करेला एक बिल वर्गीय फसल है और इसकी खेती किस पंडाल की सहायता से कर सकते हैं पंडाल में यदि किसान करेले की खेती करते हैं तो उत्पादन में वृद्धि देखने को मिलेगी उसी के साथ करेले की गुणवत्ता में भी किसानों को सुधार देखने को मिलेगा

यदि किसान पंडाल में करेले की खेती करते हैं तो वह आवश्यकता अनुसार करेले की बेल को सपोर्ट प्रदान कर सकेंगे जिससे अधिक फुल करेले की बेल में देखने को मिलेंगे उसी के साथ में करेली के पौधों को आवश्यकता अनुसार धूप प्रदान होगी और हवा का काफी अच्छा विस्तार रहेगा किसान ड्रिप रिग्रेशन की सहायता से करेले की फसल में सिंचाई की व्यवस्था कर सकते हैं

जिससे आवश्यकता के अनुसार ही पौधों को पानी मिलेगा और लंबे समय के लिए वहां पर निर्माहट बनी रहेगी जिससे पानी की भी काफी बचत किसान की होगी किसान खरपतवार का नियंत्रण करने के लिए मल्चिंग पेपर तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं

उसी के साथ में किसान बेंड बनाकर इसकी खेती करें एक लाइन से दूसरे लाइन की दूरी किस 8 फिट रखें उसी के साथ में किसान एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 4 फीट या फिर 2 फिट रख सकते हैं

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यदि इस प्रकार किसान करेले की खेती करते हैं तो उन्हें उत्पादन में काफी अच्छी वृद्धि देखने को मिलेगी और करेले की साइज यानी की गुणवत्ता भी उत्तम क्वालिटी की निकाल कर आएगी जिससे बाजार में उसके रेट भी किसान को अच्छे मिलेंगे इन

यदि आप भी ड्रिप डेकोरेशन और मल्चिंग पेपर तकनीक के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं कि यह क्या होता है और मल्चिंग पेपर तकनीक के क्या-क्या फायदे रहते हैं और टमाटर में हम मल्चिंग पेपर का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं विस्तार से आप इसके बारे में पढ़ना चाहते हैं तो पड़े हमारे यह लेख 👇👇👇

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करेले की कुछ उन्नत किस्म Vegetable farming 2025

Vegetable farming 2025 | पंजाब करेला 1 (Punjab Karela 1): यह किस्म पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है। इसकी उपज 250-300 क्विंटल प्रति एकड़ है।

पंत करेला 1 (Pant Karela 1)*: यह किस्म पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है। इसकी उपज 200-250 क्विंटल प्रति एकड़ है।
अजय करेला (Ajay Karela): यह किस्म हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है इसकी उपज 220-280 क्विंटल प्रति एकड़ है

कोयम्बत्तूर करेला 1 (Coimbatore Karela) यह किस्म तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है। इसकी उपज 250-300 क्विंटल प्रति एकड़ है।

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हिसार करेला (Hisar Karela): यह किस्म कर्नाटक कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है। इसकी उपज 200-250 क्विंटल प्रति एकड़ है।

वेल्लोर करेला (Vellore Karela): यह किस्म आंध्र प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है। इसकी उपज 220-280 क्विंटल प्रति एकड़ है।

बिहार करेला 1 (Bihar Karela 1): यह किस्म बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है इसकी उपज 200-250 क्विंटल प्रति एकड़ है

पश्चिम बंगाल करेला (West Bengal Karela) यह किस्म पश्चिम बंगाल कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है इसकी उपज 220-280 क्विंटल प्रति एकड़ है

ओडिशा करेला (Odisha Karela): यह किस्म ओडिशा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है। इसकी उपज 250-300 क्विंटल प्रति एकड़ है : Vegetable farming 2025

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नोट,, किसान साथियों यह जानकारी जो हमने आपको दी है या किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट के विभिन्न स्रोतों से ली गई है तो इसे अमल में लाने से पहले आप विशेषज्ञों की सलाह अवश्य ले !

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