सरसों में आगे की बाजार की चाल : किस तरह से रहेगी जाने समीक्षा रिपोर्ट !

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सरसों में आगे की बाजार की चाल : किस तरह से रहेगी जाने समीक्षा रिपोर्ट ! सरसो तेल में अच्छी तेजी से सरसो में भी इस सप्ताह सुधार हुआ अन्य खाद्य तेलों में तेजी से सरसो तेल में इस सप्ताह ४ रुपये/किलो की तेजी देखने को मिली मंडी भाव प्लांट भाव मिल डिलीवरी दिल्ली मुंबई चेन्नई कोलकाता लाइन और सभी की तेजी मंदी की नई अपडेट के लिए हमारे व्हाट्सएप ग्रुप में जरूर जुड़े हमारे व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें WATSUP GROUP में जुड़े 

त्योहार सीजन में डिमांड के कारण आई तेजी

सरसो तेल में आयी अचानक तेजी के पीछे पाम तेल और सोया तेल की तेजी है कृष्णा जन्माष्टमी और आगे गणेश चतुर्थी की डिमांड का सपोर्ट मिलने से तेलों के तेजी बनी सरसो और सरसो तेल में आम तौर दिवाली से पहले एक तेजी देखने को मिलती है जो इस बार समय से पहले आ गयी सरसो तेल में इस तरह अचानक तेजी की उम्मीद नहीं इसलिएअधिक स्टॉक लेने से मना किया था ३-४ रुपये/किलो की अधिकतम तेजी की उम्मीद थी जो की पिछले साप्ताहिक रिपोर्ट में लिखा था अधिकतर मंडियों में माल की आवक सिमित रह गयी है

सरसों का वर्तमान में पर्याप्त स्टॉक कितना बाकी है

जिससे सरसो तेल की उपलब्धता पिछले दिनों घट गयी थी नाफेड की बिकवाली भी अनियमित मात्रा में होने से मीलों को चलने के लिए ऊँचे भाव में माल लेना पड़ रहा है इन स्तरों से सरसो और सरसो तेल में आगे की तेजी लम्बी अवधि में टिकना मुश्किल हो सकता है रिस्क रिवॉर्ड अनुकूल नहीं है इन स्तरों पर इसलिए हमारी रॉय फिलहाल नयी खरीदारी की नहीं और उछाल में पुराना स्टॉक खाली करने की नाफेड के पास अब भी २६ लाख टन से अधिक स्टॉक उपलब्ध

भारत में पाम तेल का उत्पादन जाड़े के दिनों में प्रभावित होने की आशंका।

मलेशिया में ऑयल पाम सेक्टर की एक अग्रणी अनुसंधान एवं विकास कम्पनी के प्रमुख का कहना है कि भारत में पाम बागान के क्षेत्रफल का विकास-विस्तार होना तो संभव है लेकिन पाम तेल के उत्पादन को शीतकाल में भयंकर ठंड का सामना करना पड़ सकता है। भारत में जाड़े का मौसम अत्यधिक ठंडा होता है जो पाम फलियों के विकास में बाधक बन सकता है।

पाम आयल का दायरा बढ़ाने का प्रयास

रिसर्च फर्म के अनुसार भारत में ऑयल पाम का औसत उपज दर महज 18-20 टन प्रति हेक्टेयर है। इसे बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र में पर्याप्त पूंजी का निवेश करने की सख्त आवश्यकता है। भारत में पाम कि उपज दर को वैश्विक औसत तक पहुंचाने के लिए गंभीर प्रयास की जरूरत है।यदि जाड़े की ठंड को बर्दाश्त करने लायक पाम की प्रजाति का विकास पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

अनुसंधान एवं विकास कम्पनी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक का कहना है कि भारत के दक्षिणी भाग में उत्तरी क्षेत्र के मुकाबले कम ठंड पड़ती है। तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में पाम का बागानी क्षेत्र बढ़ाया जा सकता है। उद्योग समीक्षकों के मुताबिक पाम तेल दुनिया में सबसे सस्ता एवं सर्वाधिक उपयोग होने वाला वनस्पति तेल है।इसका इस्तेमाल खाद्य उद्देश्य के साथ-साथ कई अन्य वस्तुओं के निर्माण में भी होता है।

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पाम आयल के निर्यातक देश

इंडोनेशिया तथा मलेशिया इसके दो सबसे बड़े निर्यातक एवं उत्पादक देश हैं जबकि भारत इसका सबसे प्रमुख आयातक है। भारत में पाम तेल का उत्पादन बढ़ाने के लिए भरपूर चेस्टा की जा रही है और इसलिए सरकार ने योजना भी शुरू की है। लेकिन अभी इस दिशा में देश को मीलों का सफर तय करना है। पाम तेल के इस प्रकार बढ़ते विस्तार से भी सरसों के तेल पर पड़ेगा विपरीत प्रभाव

नोट; Mandikabhav.net वेबसाइट किसी भी सरकारी संस्था सरकारी विभाग या किसी भी सरकारी मंत्रालय से जुड़ी नहीं है ना ही किसी से कोई संबंध रखता है यहां सिर्फ एक व्यक्तिगत लेख एवं ब्लॉग है यदि इस आर्टिकल में किसी भी प्रकार की त्रुटि आई है तो कृपया क्षमा करें एवं हम से संपर्क करके कृपया उसे त्रुटि के बारे में बताएं हमारी टीम उसे त्रुटि को जल्द से जल्द सही करने का प्रयास करेगी धन्यवाद टीम Mandikabhav.net
नोट : किसान भाइयों एवं व्यापारी भाइयों यह एक व्यापारिक राय है जो फंडामेंटल सभी बन रहे हैं उनकी जानकारी इस रिपोर्ट में आपको मिली है लेकिन अपना व्यापार अपने विवेक पर अपनी समझ पर करें टीम Mandikabhav.net { धन्यवाद}

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