चना फसल में रोगों से निजात ऐसे पाए !

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चना फसल में रोगों से निजात ऐसे पाए ! चना फसल में रोगों से निजात ऐसे पाए ! जिन किसान भाइयों ने किसी कारण से चना फसल की बुवाई में देरी कर दी थी या फिर बिना बीज उपचार के बुवाई कर दी थी अब उन्हें काफी सारे रोग चना में देखने को मिल रहा है जिसमें से प्रमुख रोग है उकठा रोग आज कैसे आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं इस रोग की पूरी जानकारी और इसके रोकथाम कैसे होगा

रबी सीजन की सबसे महत्वपूर्ण फसल कृषि विशेषज्ञों के अनुसार चने की बुवाई 15 दिसंबर से पहले पूर्ण कर लेनी चाहिए यदि बुवाई में देरी होती है तो उत्पादन भी प्रभावित होता है और पत्तियों और फलियां में भेदक किट का खतरा भी भर जाता है

उकठा रोग के बारे में जानकारी

यह रोग मुख्य रूप से चने की फसल को नुकसान पहुंचता है यदि एक बार यहां खेत में आ चुका है तो यह पूरे खेत को अपने चपेट में ले लेता है इस रोग का प्रमुख कारक है एक या दो प्रकार की फफूंदों, पहले फ्यूजेरियम की प्रजाति दूसरी सेफेलोस्पोरियम की प्रजाति द्वारा उत्पन्न होता है

यह रोग किसी भी अवस्था में आ सकता है फलिया लगने की अवस्था में या फिर प्राथमिक अवस्था में इस रोग में प्रथम में खेत के कुछ-कुछ हिस्से में दिखाई देता है फिर पूर्ण रूप से खेत में फैल जाता है

क्या प्रभाव रहता है चना पर

इसमें पौधे की पत्तियां सूख जाती हैं धीरे-धीरे पत्तियां सूखने लगकर पौधा पूर्ण रूप से मुरझा जाता है और यदि पौधे में जरा लगाया जाए तो काली-काली संरचनाओं दिखाई देती हैं

क्या उपाय करें इस रोग को काबू में करने के लिए

फसल में उकठा रोग की रोकथाम के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं

1. *कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यू.पी. का उपयोग*: रोग के लक्षण दिखने पर कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यू.पी. का 0.2 प्रतिशत घोल बनाकर पौधों की जड़ में छिड़कें। यह रोग को नियंत्रित करने में मदद करेगा।

2. फसल की नियमित निगरानी करें और रोग के लक्षण दिखने पर तुरंत कार्रवाई करें।

3. फसल के आसपास के क्षेत्र को साफ और स्वच्छ रखें। यह रोग के फैलाव को रोकने में मदद करेगा

4.जैविक नियंत्रण विधियों का उपयोग करें, जैसे कि ट्राइकोडर्मा वायरस का उपयोग।

5.रासायनिक नियंत्रण विधियों का उपयोग करें, जैसे कि कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यू.पी. का उपयोग।

चने के खेत में विशेष सावधानी
जिस खेत में इस रोग का प्रभाव देखा गया है या फिर प्राथमिक लक्षण भी है उसे खेत में कुछ समय तक अरहर की खेती न करें अन्यथा रोग का फैलाव ज्यादा हो सकता है

नोट : किसान साथियों यहां सब दवा का छिड़काव करते समय आप आपके क्षेत्र के किसी शिक्षक को आपके खेत का एक बार प्रमाण आवश्य करवाई और उनसे सलाह ले

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